भारत भारी मंदिर: एक पौराणिक धरोहर जहाँ इतिहास और भक्ति का संगम होता है:
भारत भूमि पर कई ऐसे पवित्र स्थल हैं, जो केवल धार्मिक आस्था के केंद्र ही नहीं बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर भी हैं। उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले में स्थित भारत भारी मंदिर ऐसा ही एक अद्भुत स्थल है, जो अपनी पौराणिक मान्यताओं, ऐतिहासिक महत्ता और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है।

भारत भारी का भौगोलिक महत्व:
भारत भारी मंदिर सिद्धार्थनगर जिले के डुमरियागंज ब्लॉक में स्थित है। यह स्थान नौगढ़ (जिला मुख्यालय) से 55 किमी, डुमरियागंज से मात्र 10 किमी, और लखनऊ से लगभग 210 किमी की दूरी पर स्थित है। भारत भारी गांव सिद्धार्थनगर और बस्ती जिले की सीमा पर बसा हुआ है, जिससे इसकी भौगोलिक स्थिति और भी महत्वपूर्ण हो जाती है।
भारत भारी का धार्मिक महत्व:
भारत भारी मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इस स्थान को लेकर कई प्राचीन मान्यताएँ और कथाएँ जुड़ी हुई हैं। मंदिर के ठीक सामने 16 बीघे में फैला एक विशाल तालाब स्थित है, जिसे ‘सागर’ कहा जाता है। इस तालाब को उत्तर प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा भगवान शिव के नाम पर संरक्षित घोषित किया जा चुका है। तालाब के चारों ओर हनुमान मंदिर, रामजानकी मंदिर और दुर्गा मंदिर स्थित हैं, जो इसे और अधिक आध्यात्मिक ऊर्जा से भर देते हैं।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और पौराणिक कथा:
भारत भारी का संबंध महाराज दुष्यंत के पुत्र ‘भरत’ से भी जोड़ा जाता है। ऐसा माना जाता है कि भरत ने इस स्थान को अपनी राजधानी बनाया था और प्राचीनकाल में इसे ‘भरत भारी’ कहा जाता था।
एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, जब भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन के साथ पांडवों से मिलने जा रहे थे, तब उन्होंने इस स्थान पर स्थित शिवलिंग के दर्शन किए और तालाब में स्नान किया था। इसी प्रकार, लंका युद्ध के दौरान, जब हनुमान जी संजीवनी बूटी लेकर जा रहे थे, तो भरत ने उन्हें शत्रु समझकर बाण चला दिया, जिससे वे पर्वत सहित गिर पड़े। इस स्थान पर जो गड्ढा बना, वही आगे चलकर तालाब (सागर) के रूप में प्रसिद्ध हुआ।
भारत भारी का पुरातात्विक महत्व:
भारत भारी केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि पुरातात्विक और ऐतिहासिक रूप से भी अत्यंत महत्वपूर्ण स्थल है। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के प्राचीन इतिहास और पुरातत्वविद श्री सतीश चंद्र द्वारा किए गए अनुसंधान में यहां पर कुषाण काल के कई पुरातात्विक अवशेष प्राप्त हुए हैं। खुदाई के दौरान लगभग 8 फीट लंबे नरकंकाल भी मिले हैं, जो इस स्थान की प्राचीनता को दर्शाते हैं। किले की दीवारों के नीचे से मिली जल निकासी प्रणाली इस बात का प्रमाण है कि यह कभी एक विकसित नगर रहा होगा।
भारत भारी मेले का आकर्षण:
हर वर्ष कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर यहां एक विशाल मेले का आयोजन किया जाता है, जो लगभग एक सप्ताह तक चलता है। यह मेला 1875 से ही प्रसिद्ध है और तब इसमें 50,000 से अधिक लोग शामिल होते थे। इसके अलावा, चैत्र राम नवमी और महाशिवरात्रि के पर्व पर भी यहाँ भव्य आयोजन होते हैं, जिनमें हजारों श्रद्धालु भाग लेते हैं।

भारत भारी: एक पर्यटन स्थल के रूप में उभरता धरोहर:
वर्तमान में उत्तर प्रदेश सरकार इस स्थान को एक प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कर रही है। यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता, विशाल सरोवर, ऐतिहासिक महत्व और आध्यात्मिक ऊर्जा इसे श्रद्धालुओं और इतिहास प्रेमियों दोनों के लिए एक आदर्श गंतव्य बनाते हैं।
कैसे पहुँचे?:
- हवाई मार्ग: भारत भारी से निकटतम हवाई अड्डा गोरखपुर एयरपोर्ट (110 किमी) है।
- रेल मार्ग: सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन बस्ती (40 किमी) और नौगढ़ (65 किमी) है।
- सड़क मार्ग: यह स्थान लखनऊ, गोरखपुर और वाराणसी से सीधा सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है।
निष्कर्ष:
भारत भारी मंदिर केवल एक पूजा स्थल ही नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, इतिहास और परंपरा का प्रतीक भी है। यह स्थान न केवल श्रद्धालुओं के लिए आध्यात्मिक शांति का केंद्र है, बल्कि इतिहास प्रेमियों और पर्यटकों के लिए भी एक महत्वपूर्ण स्थल है। यदि आप उत्तर प्रदेश की ऐतिहासिक धरोहरों और आध्यात्मिक स्थलों की यात्रा करना चाहते हैं, तो भारत भारी मंदिर अवश्य जाएं और इसकी अद्भुत दिव्यता का अनुभव करें।