बाबा भद्रेश्वर नाथ मंदिर: बस्ती जिले का ऐतिहासिक और आध्यात्मिक केंद्र

उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में स्थित बाबा भद्रेश्वर नाथ मंदिर एक अत्यंत प्राचीन और पौराणिक स्थल है। इसे त्रेता युग से स्थापित माना जाता है, और इसकी महिमा कई ऐतिहासिक और धार्मिक घटनाओं से जुड़ी हुई है। यह मंदिर शिव भक्तों के लिए आस्था और श्रद्धा का प्रमुख केंद्र है।
पौराणिक महत्व और ऐतिहासिक संदर्भ

मान्यता है कि इस शिवलिंग की पूजा स्वयं रावण ने की थी। द्वापर युग में पांडवों ने भी यहां आकर भगवान शिव की उपासना की थी। इसके अलावा, अयोध्या नरेश राजा दशरथ ने भी इस मंदिर में पूजा-अर्चना की थी। यह पूरा क्षेत्र ऋषि गुरु वशिष्ठ की तपोभूमि माना जाता है।
बस्ती जिला प्राचीन काल में वशिष्ठ नगर के नाम से जाना जाता था, जिसका नामकरण महर्षि वशिष्ठ के नाम पर हुआ था। यही कारण है कि यह मंदिर न केवल धार्मिक बल्कि ऐतिहासिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
भौगोलिक स्थिति और मंदिर तक पहुँचने का मार्ग
बाबा भद्रेश्वर नाथ मंदिर बस्ती मुख्यालय से मात्र 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
- यदि आप बस्ती शहर से यात्रा कर रहे हैं, तो कंपनी बाग चौराहे से शुरू होकर डायरी डीहा चौराहे तक पहुँच सकते हैं।
- यहां से बाएं हाथ पर एक माताजी का विशाल मंदिर स्थित है।
- इसके बाद दाहिनी ओर मुड़ने पर 2 किलोमीटर अंदर जाने के बाद कुआनो नदी के उत्तरी तट पर स्थित देवनाथ बाबा का मंदिर आता है।
- वहां से 300 मीटर आगे बढ़ने पर बाबा भद्रेश्वर नाथ मंदिर स्थित है।
मंदिर का धार्मिक महत्व
- इस मंदिर का शिवलिंग अत्यंत विशाल और दिव्य ऊर्जा से परिपूर्ण माना जाता है।
- यहाँ शिवरात्रि के अवसर पर विशाल मेले का आयोजन होता है।
- कांवड़ यात्रा के दौरान भक्तजन अयोध्या से पवित्र सरयू जल लाकर यहाँ जलाभिषेक करते हैं।
कथाएँ और चमत्कारिक घटनाएँ

इस मंदिर से जुड़ी एक प्राचीन कथा बहुत प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि एक बार कुछ चोर यहाँ चोरी करने आए, लेकिन वे मंदिर से कुछ भी चुराने में असमर्थ रहे। बल्कि, उनकी लढ़िया और हथियार पत्थर में परिवर्तित हो गए, जो आज भी मंदिर परिसर के उत्तरी छोर पर देखे जा सकते हैं।
भद्रेश्वर नाथ मंदिर से यात्रा संबंधित जानकारी
- नजदीकी रेलवे स्टेशन: बस्ती रेलवे स्टेशन, जो 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
- सड़क मार्ग: मंदिर तक जाने के लिए स्थानीय परिवहन जैसे ऑटो, टैक्सी, और बसें उपलब्ध हैं।
- नजदीकी नदी: कुआनो नदी, जो इस मंदिर के पास प्रवाहित होती थी। पहले यह मंदिर के पास से होकर बहती थी, लेकिन समय के साथ इसका प्रवाह बदल गया।
निष्कर्ष
बाबा भद्रेश्वर नाथ मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि तीन युगों (त्रेता, द्वापर और कलियुग) की आस्था का केंद्र भी है। यह मंदिर शिव भक्ति, ऐतिहासिक विरासत और चमत्कारिक कथाओं का संगम है। यदि आप भगवान शिव के अनन्य भक्त हैं, तो इस पवित्र स्थल की यात्रा अवश्य करें और आध्यात्मिक शांति प्राप्त करें।